कहीं जूते,
कहीं कलम
कहीं कलम के नफ़े जैसा,
किसी का ब्रेड अंडे दूध
किसी का
कुर्सी मेज पलंग जैसा,
टी वी फ्रिज मोबाइल
कहीं कपड़े लत्ते गलाबन्द जैसा
मन्यारी
कहीं पंसारी
दारोगा
कहीं भिखारी जैसा,
रिआया
उसकी हुक्मरानी,
भोगी
कहीं संसारी जैसा,
जिस जिस काम में
जो था गिरफ़्त,
मिला उसका अक्स
उसी नक्श जैसा।